द्वारा अ बिष्ट
सर्ट-इन, सिमनटेक और प्रैस वाटर हाउस कूपर्स के अनुसार,
साइबर हमलों (वायरस , वर्म्स और धोखाधडी सब शामिल ) की वार्षिक विकास दर : 15 % से अधिक
विश्व की कुल ई-मेल्स में स्पैम मेल्स का हिस्सा: 80%
सरल भाषा में, हर दस में से आठ ई-मेल्स स्पैम मेल्स होती हैं यह संख्या भारत के लिए भी समान है ।
वर्ष 2007 में भारत के 100 में से 57 संगठनों के कंप्यूटर सायबर हमलों के प्रति दयनीय पाए गए ।
वर्ष 2000 के लिए यह संख्या 100 में 29 थी ।
वर्ष 2001 में , भारत के कम्प्यूटरों में वायरस संक्रमण की दर 1 % मासिक थी । अर्थात किसी भी महीने १०० में मात्र एक कंप्यूटर वायरस से संक्रमित पाया जाता था ।
2007 में यह संख्या 17 पहुँच चुकी है ।
ऐसे सिस्टम्स (कम्प्यूटर्स और पी सीज) की कुल संख्या जो प्रतिदिन साइबर हमलों के प्रति दयनीय हो जाते हैं या बोट्स में शामिल हो जाते हैं: 350
[बोट्स ऐसे दुर्भावना पूर्ण प्रोग्राम्स (इन्हें वेब रोबोटों के नाम से भी जन जाता है ) होते हैं, जो इन्टरनेट पर स्वचालित कार्यों को संपन्न करते हैं ;जैसे कंप्यूटरों के नेटवर्क से स्पैम मेल भेजना (नेटवर्क में शामिल कंप्यूटर आप और हम जैसे अनभिग्य कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं के होते है ) आदि । इस प्रकार बोट्स अनभिग्य उपयोगकर्ता के सिस्टम संसाधनों और बैंडविड्थ का दोहन करने में मदद करते हैं ]
औसतन, भारत में प्रतिदिन लगभग 8 बैंक ग्राहक किसी न किसी प्रकार के फ़िशिंग हमले की सूचना देते हैं ।
और इनमें से अधिकांश सूचनाएं वास्तविक वित्तीय धोखाधड़ी होती हैं ।
[फ़िशिंग धोखा करने वालों के द्वारा आपके बैंकिंग विवरण को प्राप्त करने का प्रयास होता है ]
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