आप में से जिन पाठकों की विवाहित और एक माता बन चुकी बहने हैं; उन्होंने इस बात पर गौर किया होगा; कि माता बनने के पश्चात् बहनों कि सोच में एक बड़ा परिवर्तन आ जाता है | माताओं कि सोच , बच्चों के इर्द गिर्द विचरण करने लगती है; तथा उनके समस्त विचार और क्रियाएँ, बच्चों को एक अच्छा जीवन प्रदान करने कि दिशा में प्रयासरत हो जाते हैं |
माताएं, एक अविवाहित स्त्री कि तुलना में धन के प्रति अधिक सजग हो जाती हैं | क्योंकि धन, बच्चों को एक सुखद जीवन प्रदान करने में सक्षम है अतः उनकी यह सजगता समझी जा सकती है |
सरल शब्दों में कहें तो, एक अविवाहित स्त्री और एक माता , दो सर्वथा भिन्न व्यक्तित्त्व हैं | अतः यदि इन तक कोई उत्पाद अथवा सेवा पहुंचानी हो, तो दो भिन्न व्यक्तित्त्वों को समझना होगा |
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2 comments:
difference is appreciable
@ uthojago
You're right.
Actually, when it comes to marketing ,rather than looking at a person blandly, one has to look for the life phase he/she is currently in. And then chalk out a strategy to approach him/her.
Thanks for the comment.
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