द्वारा अ बिष्ट
हिंदुस्तान टाईम्स-सी फोर सर्वेक्षण के अनुसार देश में मोबाइल धारकों के बढ़ने के साथ , उनकी शिकायतें भी बढ़ रही हैं |
सर्वेक्षण से प्राप्त नतीजों को एक दृश्य के रूप में अनुकूलित कर दिखाने का प्रयास किया गया है:
यदि एक चाय के दुकान पर बैठे पाँच व्यक्ति भारत के समस्त मोबाइल धारकों का प्रतिनिधित्व करते हैं तो उनके मोबाइल सेवा से सम्बंधित अनुभव इस प्रकार हैं |
प्रत्येक दस कॉल करने पर, 5 में से 3 से अधिक व्यक्तियों की कॉल एक या दो बार कट जाती है |
5 में से 2 से अधिक व्यक्ति बिल सम्बन्धी समस्या से जूझ रहे हैं |
पाँच में से दो से अधिक व्यक्तियों को 48 घंटे से अधिक प्रतीक्षा करनी पड़ी तब जाकर उनकी बिल सम्बंधित समस्या का निराकरण हो सका |
5 में से 3 से कम व्यक्तियों ने पाया की कस्टमर केयर के पास अच्छे शब्द तो हैं पर मददगार सूचना नहीं है | सरल भाषा में वे कस्टमर केयर से संतुष्ट नहीं हैं |
तीन में से एक से अधिक व्यक्ति ने कहा कि उनको वायदा किया हुआ टाक-टाइम नहीं मिला |
समूह के आधे से अधिक व्यक्तियों को यह पता ही नहीं कि "डी एन डी " या " डू नॉट डिस्टर्ब" डायरेक्टरी क्या है | और एक से कम व्यक्ति ने इस डायरेक्टरी में पंजीकरण किया है |
समूह के दो सदस्य आज ही अपना सेवा दाता बदल दें यदि उन्हें अपना वर्त्तमान नम्बर बरक़रार रखने की सुविधा मिल जाए | मतलब फंस गए, वरना अभी तक इतना क्यों सहते |
और जब इस समूह के एक सदस्य ने अन्य सदस्यों को अपने-अपने सेवा दाता को 1-10( 1= निकृष्ट, 10= उत्त्क्रिष्ट) के स्केल पर अंक देने को कहा, तो प्रत्येक ने 6 अंक दिए |
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